न मिला करो सर-ऐ-आम मुझे
मैं तनहा तनहा ही ठीक हूँ
मुझे चाहतों से डर लगता है
मैं नफरतों में ही ठीक हूँ
मुझे रास्तों में छोड़ दो
मुझे जुस्तजू-ऐ-मंजिल की नही
न दिखाओ मुझको रास्ता
मैं भटका हुआ ही ठीक हूँ
मेरे दोस्तों मुझे छोड़ दो
न सुलझाओ मेरी उलझनें
मुझे अदावतें ही पसंद हैं
मैं दुश्मनो में ही ठीक हूँ
मुझे खुशी की कोई तलब नही
मुझे अपना ग़म भी नवाज़ दो
मुझे आंसू पीना पसंद हैं
मैं आंसुओं में हे ठीक हूँ
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9781432969806 Boo...
5 years ago
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