SMS and Shayari

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देखा है जिंदगी को कुछ इतना करीब से
चहरे तमाम लगने लगे हैं अजीब से.

इस रेंगती हयात का कब तक उठाएं बार
बीमार अब उलझने लगे हैं तबीब से.

हर गाम पर है मजमा-इ-उश्शाक मुन्तजिर
मकतल की राह मिलाती है कू-इ-हबीब से

इस तरह जिंदगी ने दिया है हमारा साथ
जैसे कोई निबाह रहा हो रकीब से.

अय रूह-इ-असर जाग कहाँ सो रही है तू
आवाज़ दे रहे हैं पयम्बर सलीब से.

रेंगती = crawling; हयात = life; बार = weight; तबीब = doctor
गाम = step; मजमा = crowd; उश्शाक = lovers
मकतल = place of execution; कू-इ-हबीब = friend's place रकीब = rival.

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